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चले गये “भगवान” करिके जग अंधियारा

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लेखक-  पवन कुमार यादव

बाराबंकी में प्रवाहित आदि गंगा गोमती की गोद में स्थित, ललकपुर-मंझार नामक गांव में एक ऐसे ज्ञान पिपासु बालक का 15 दिसंबर सन् 1937 को जन्म हुआ था, जिसके अंदर इतनी ज्ञान पिपासा भरी हुई थी, कि वह भाद्रपद मास की नदी से भी नहीं डरता था | ज्ञान की लालसा रखने वाले उस बालक को अकेले ही नदी पार कर स्कूल जाना पड़ रहा था, इसलिए उसने अपने एक साथी को स्कूल जाने के लिए तैयार किया, जिसे वह अपने हिस्से की रोटी और स्कूल की फीस भी देता था | लेकिन भाद्रपद मास की नदी की बाढ़ के डर से साथी ने कुछ ही दिनों में स्कूल जाने से मना कर दिया | दृढ़ इच्छा शक्ति वाला ज्ञान पिपासु बालक अकेले ही स्कूल जाता रहा | और उसने दृढ़ संकल्प किया था, कि जिस नाव में, मैं अकेले बैठकर स्कूल जाता हूँ, एक न एक दिन मैं अपने गाँव से इतने साथी, स्कूल लेकर आऊंगा कि नाव साथियों से भरी होगी | मजबूत इच्छा शक्ति से प्राणी बड़े-बड़े बीहड़ पहाड़ों को भी पार कर जाता है | ज्ञान पिपासु बालक ने कुछ ही दिनों में गाँव के कई दर्जन साथियों को, अक्षर के महत्त्व को बता कर, स्कूल जाने को तैयार कर लिया था | अब इतने साथी स्कूल जाने लगे थे, कि पूरी की पूरी नाव बच्चों से खचा-खच भरी रहा करती थी | वही ज्ञान पिपासु बालक बड़ा होकर, हिंदी, संस्कृत, तमिल, तेलगु, मलयालम, अंग्रेजी, उर्दू, पालि, प्राकृत, अपभ्रंष, बंगला, असमी, मराठी, आदि कई भाषाओं का विद्वान् हुआ | जो आज डॉ0 भगवान वत्स के नाम से जाने जाते हैं |  वे सन् 1975 के आपात काल में जेल में भी रहे। समाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ते भी रहे।  हरिवंशराय बच्चन से लेकर श्री लाल शुक्ल जैसे अनेक महान साहित्यकारों का सानिध्य प्राप्त करने वाले, भाषा वैज्ञानिक डॉ० भगवान वत्स ने अपने ज्ञान प्रसार के लक्ष्य को आज तक नहीं छोड़ा | उन्होंने अपने ज्ञान चक्षुवों और कर कमलों से जनपद ही नहीं बल्कि देश-प्रदेश की कई दर्जन सामाजिक और शैक्षिक संस्थाओं के  सृजन में महती भूमिका भी निभाई | डॉ. भगवान वत्स की कलम से निकली हुई अनेक संस्थाएं आज पल्लवित-पुष्पित हो रही हैं | भगवान सदैव देता ही देता है, कभी कुछ लेने का भाव नहीं रखता | अपने नाम की मर्यादा रखने वाले, डॉ. वत्स ने जिन संस्थाओं और पत्र-पत्रिकाओं के सृजन और विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, उनमें से कुछ प्रमुख हैं – राम सेवक यादव परास्नातक महाविद्यालय चंदौली, शांति मोर्चा (दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्र), यादव शक्ति (मासिक पत्रिका) यादव ट्रष्ट आफ इंडिया, लखनऊ, अखिल भारतीय प्रबुद्ध यादव संगम, उत्तर प्रदेशीय यादव महासभा, यादव विकास मंच, विश्व बन्धु सेवा संस्थान, राष्ट्र भाषा परिषद्, पारिजात-पत्र, शब्द-मासिक पत्र और शब्द प्रेस (दोनों 1975 के आपातकल में सील कर दिए गए थे), पारिजात औद्योगिक प्रतिष्ठान, आदि आदि । इन सबका संचालन डॉ. वत्स के शुभ चिंतकों द्वारा हो रहा है |       समाज के लिए ही जीते रहने वाले ऐसे डॉक्टर भगवान वत्स आज (12/9/2020) दोपहर 1:15 बजे अपने शिष्यों की  ज्ञान गुत्थियां बिना सुलझाये ही  इह लोक से गगन मंडल को प्रस्थान कर गये। 
                                               

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