उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने विभागीय अधिकारियों को सिंचाई विभाग में उपलब्ध फालतू भूमि के निस्तारण के लिए एक कारगर ठोस नीति बनाये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने इसके लिए किसी विश्वसनीय एवं अनुभवी संस्थाओं/फर्मों की मदद लेने के सुझाव दिये। इसके साथ ही उन्होंने महानगरों एवं महत्वपूर्ण नगर पालिकाओं में परिसम्पत्तियों के जियो टैगिंग का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किये जाने को कहा है। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि जिस भूमि को निकट भविष्य में उपयोग में लाया जाना संभव नहीं हो, उसको चिन्हित करने की कार्यवाही भी सुनिश्चित कराई जाये।
जलशाक्ति मंत्री कल देर रात अपने शासकीय आवास पर सिंचाई विभाग की समीक्षा बैठक कर रहे थे। उन्होंने अधिकारियों को साफ तौर से निर्देशित किया कि विभागीय कार्यो को पूरी गुणवत्ता, पारदर्शिता, समयबद्धता तथा तेजी से पूरा कराया जाय। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग की समस्त सम्पत्तियों की जियो टैगिंग के साथ जमीनों का आडिट कराया जाये, आडिट में सिंचाई विभाग की भूमि किस प्रयोग में लायी जा रही है और कितनी भूमि खाली है जो अन्य कार्याें में लायी जा सकती है और कितनी भूमि कब्जे में है आदि का विवरण दर्ज किया जा सके। जिससे विभाग के पास मौजूद सारी जमीनों का पूरा विवरण रखा जा सके। उन्होेेंने सिंचाई विभाग की पट्टों पर दी जाने वाली भूमि की पहचान कराकर उसका पूरा विवरण कम्पयुटर में दर्ज कराने के भी निर्देश दिये।
सिंचाई विभाग की फालतू जमीनों के निस्तारण के लिए एक ठोस नीति बनायी जाये: डाॅ0 महेन्द्र सिंह
Advertisement
Advertisement