बाराबंकी। कुश्ती तन और मन को तो मजबूत बनाती ही है निरंतर अखाड़े में कुश्ती लड़ने वाला इंसान तन से मजबूत तो मन से बलशाली भी होता है। कुश्ती का खेल रामायण और महाभारत काल में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता था रामायण और महाभारत काल में बड़े-बड़े योद्धा अखाड़े में मल्य युद्ध करके अपने प्रतिद्वंदी को अपनी ताकत का एहसास करवाते थे।
उक्त विचार समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविंद कुमार सिंह गोप ने कस्बा रसौली में आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय विराट कुश्ती दंगल महोत्सव के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित दंगल प्रेमियों के बीच कहीं। पूर्व मंत्री ने कहा कि कुश्ती के खेल में काफी चतुराई और फुर्ती की आवश्यकता होती है इस खेल मे शारीरिक बल के साथ-साथ स्वस्थ मन का भी होना अत्यंत आवश्यक है जिस पहलवान का मन कुश्ती के दौरान जितनी तीव्रता से काम करता है वही पहलवान अखाड़े में अपने प्रतिद्वंदी को चित कर पता है, इसलिए ऐसे आयोजन बहुत ही महत्वपूर्ण है कुश्ती और दंगल के इस प्रकार के आयोजन युवाओं को कुश्ती के प्रति के आकर्षित करते, इसलिए ऐसे आयोजन समय-समय पर होते रहने से युवाओं को कुश्ती के दांव पेच सीखने का अच्छा अवसर मिलता है।
उद्घाटन से पूर्व दंगल आयोजन समिति के पदाधिकारियों ने राष्ट्रीय सचिव अरविंद कुमार सिंह गोप को 51 किलो की माला और साफा पहना कर स्वागत किया अरविंद कुमार सिंह गोप ने पहलवानों का हाथ मिलवा कर कुश्ती का शुभारंभ कराया। इस अवसर पर मुख्य रूप से महंत बलराम दास, पूर्व विधायक रामगोपाल रावत, पूर्व अध्यक्ष धीरेंद्र वर्मा, अजय वर्मा बबलू, सपा जिला प्रवक्ता वीरेंद्र प्रधान, लालजी गुप्ता, ज्ञानेंद्र प्रताप यादव, आशीष सिंह, अजय यादव, नवीन सेठ, महंत सौरभ दास, सिद्धांत पटेल आदि तमाम कुश्ती प्रेमी मौजूद रहे।
कुश्ती लड़ने वाला इंसान तन से मजबूत तो मन से बलशाली भी होता है :अरविंद गोप
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