इस साल का पहला सूर्य ग्रहण, दुनिया के कई हिस्सों में लगा यह सूर्य ग्रहण।

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Shandauli Times/ साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लग चुकी है वैज्ञानिक दृष्टि से सूर्य ग्रहण को खगोलीय घटना से देखा जाता है. तो वहीं ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण को अशुभ माना जाता है। आज हम आपको बताएंगे सूर्य ग्रहण के दौरान राशियों पर पड़ने वाले असर के बारे में, गुरुवार, 20 अप्रैल 2023 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा है। भारतीय समय के अनुसार यह सूर्य ग्रहण सुबह 7 बजकर 4 मिनट से शुरू हो चुका है जो दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक चलेगा। इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 24 मिनट तक रहेगी।
हालांकि, यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. इसलिए इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. लेकिन इस बार का सूर्य ग्रहण बेहद खास रहने वाला है क्योंकि इस बार 3 तरह के सूर्य ग्रहण दिखने वाले हैं. जिन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हाइब्रिड सूर्य ग्रहण का नाम दिया गया है. वैदिक ज्योतिष के मुताबिक, सूर्यग्रहण के समय सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में राहु और बुध के साथ होंगे. माना जा रहा है कि इस सूर्य ग्रहण का मूल प्रभाव कुछ राशियों पर नकारात्मक पड़ेगा और कुछ राशियों पर अच्छा पड़ेगा. आइए जानते हैं कि इस सूर्य ग्रहण का देश दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

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सूर्य ग्रहण का देश दुनिया पर प्रभाव,

पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि सूर्य ग्रहण मेष राशि और अश्वनी नक्षत्र में पड़ रहा है. यह सूर्य ग्रहण भारतवर्ष में तो अदृश्य है इसलिए भारत में इसका सूतक पातक आदि देखने को नहीं मिलेगा. परंतु बाकी स्थानों पर ऑस्ट्रेलिया, लेटिन अमेरिका आदि देशों में जहां ये दिखाई दे रहा है, उसके परिणामस्वरूप भौगोलीय घटनाओं का प्रभाव पूरी धरती के ऊपर ही दिखेगा. इस ग्रहण के प्रभाव से रूस और यूक्रेन में युद्ध और बढ़ सकता है. अलग-अलग क्षेत्रों में झड़प या युद्ध की संभावनाएं देखने को मिलेंगी. इसके अलावा, संक्रामक रोग दोबारा से दिखाई देगा।

इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा,
साल 2023 का यह पहला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देने के कारण इसका सूतककाल मान्य नहीं होगा। शास्त्रों के अनुसार जहां-जहां पर ग्रहण का असर होता है वहां पर सूतक काल प्रभावी माना जाता है। इस कारण से भारत में सूतक काल प्रभावी नहीं होगा। सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल ग्रहण के लगने के 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है और ग्रहण की समाप्ति तक रहता है। 20 अप्रैल के बाद साल का दूसरा ग्रहण 14 अक्टूबर को होगा। इस ग्रहण को भी भारत में नहीं देखा जा सकता है।

क्या होता है सूतक काल?

धार्मिक नजरिए से सूतककाल को शुभ नहीं माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि सूतक काल के दौरान सूर्य और चंद्रमा पीड़ा मे होते हैं। ऐसे में इस दौरान किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है। सूतक काल के सयम मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण पर सूतक के दौरान भगवान की मूर्तियों का स्पर्श नहीं किया जाता है और न ही इनकी पूजा-पाठ होती है। सूतक काल के दौरान मंदिरों के पर्दे और दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। सूतक काल की शुरूआत से लेकर इसके खत्म होने तक न तो खाना बनाया जाता है और न ही खाना खाया जाता है। ग्रहण के दौरान मंत्रोंका जाप करना बहुत ही शुभ होता है। ग्रहण की समाप्ति के बाद पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव किया जाता है।

(नोट: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र द्वारा आधारित है, सन्दौली टाइम्स इसकी पुष्टि नहीं करता है,)

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