जिला कारागार में आयोजित हुआ विधिक जागरूकता शिविर

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बहराइच । उ.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बहराइच के अध्यक्षध्जनपद न्यायाधीश उत्कर्ष चतुर्वेदी के निर्देशानुसार विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बहराइच के सचिव विराट शिरोमणि की अध्यक्षता में जिला कारागार बहराइच में विधिक जागरुकताध्साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जेल अधीक्षक राजेश यादव, मनोचिकित्सक डॉ. विदित जायसवाल, चिकित्सक डॉ. प्रवीण पाण्डेय, डिप्टी जेलर देवकान्त वर्मा व शेषनाथ यादव तथा बंदीगण उपस्थित रहे।
शिविर को सम्बोधित करते हुए सचिव शिरोमणि ने उपस्थित बंदियो को बताया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रत्येक वर्ष मानसिक समस्याओं के लेकर 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। किसी भी मनुष्य के सर्वांगिक विकास के लिए शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास का होना जरुरी है। मानसिक बीमारी अभिशाप नहीं अपितु एक बीमारी है। आधुनिक युग में मानसिक बीमारियों का हर प्रकार से ईलाज संभव है बशर्ते आप मरीज का पूर्ण ईलाज कराएं।
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े अधिनियम के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए सचिव ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम-2017 मानसिक रोगियों के हितों की रक्षा करता है। यह अधिनियम 29 मई, 2018 में लागू हुआ था। इस अधिनियम के महत्वपूर्ण विशेषताओं के बारे में बताया गया कि इस अधिनियम के लागू होने से पूर्व में जो व्यक्ति आत्महत्या का प्रयास करता था उसे भारतीय दण्ड संहिता की धारा 309 के अन्तर्गत दण्डित किये जाने का प्रावधान था, किन्तु इस अधिनियम के अंतर्गत उस व्यक्ति को पुनर्वास के लिए अवसर दिया जाएगा और उस पर न ही कोई मुकदमा चलाया जायेगा और न ही दंडित किया जाएगा। इसी प्रकार ईसीपी उपचार वर्तमान में अपरिहार्य कारणों को छोड़कर वर्जित है और नाबालिग बच्चों पर ईसीपी उपचार प्रतिबंधित भी है।
मनोचिकित्सक डॉ. विदित जायसवाल द्वारा बताया गया कि विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की इस वर्ष की थीम कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना है। पूरी कार्यकुशलता के लिए शरीर का स्वस्थ्य रहना जितना जरुरी है उतना ही मन का स्वस्थ्य रहना भी जरुरी है। डॉ. जायसवाल ने बताया कि अचानक से व्यक्ति के व्यवहार, भाषा, कार्यशैली में आये बदलाव, उदासीनता का भाव, घबराहट तथा हाथ-पैर से पसीना छूटना मानसिक बीमारी के संकेत होते हैं। इसके साथ-साथ नशे से भी मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती है। शराब के सेवन से घरेलू हिंसा एवं शक करने आदि की समस्याएं बढ़ती हैं। नशे से शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को क्षति पहुंचती है।
डॉ. प्रवीन पाण्डेय द्वारा बताया गया कि अकेलेपन से व्यक्ति अवसाद में चला जाता है। किसी के कहने से रोने लगना, आत्महत्या का विचार आना अवसाद के लक्षण है। साफ-सफाई की आदतें, बार-बार कोई चीजों को चेक करना, मन में एक ही बात का पूरे दिन चलते रहना आदि मानसिक बीमारी के लक्षण हैं। कभी-कभी लोग आसामन्य व्यवहार करने लगते हैं और लोगों को लगता है कि व्यक्ति के शरीर पर बाहरी शक्तियों का नियंत्रण हो गया है और वे झाड़-फूंक के चक्कर में फंस जाते हैं। उन्हे शीघ्र ऐसे व्यक्तियों के उपचार मनोचिकित्सक से कराना चाहिए।
जेल अधीक्षक राजेश यादव द्वारा बंदियों से आग्रह किया गया कि वे स्वयं मानसिक स्वास्थ्य के लिए कदम उठायें। अपने मन की बात अपने साथी से साझा करें और यदि उन्हे कोई समस्या आती है तो वह जेल प्रशासन को अवगत करायें। कार्यक्रम के अन्त में जेल अधीक्षक श्री यादव ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी व्यक्तियों का धन्यवाद भी ज्ञापित किया।

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