
एटा/अलीगढ़/मैनपुरी, 9 दिसंबर: केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित बीज विधेयक-2025 और बिजली (संशोधन) विधेयक-2025 के खिलाफ उत्तर प्रदेश में किसानों का गुस्सा सड़कों पर उतर आया है। अखिल भारतीय किसान सभा (उत्तर प्रदेश) के आह्वान पर सोमवार को प्रदेश के दर्जनों गांवों-कस्बों में जोरदार प्रदर्शन हुए। किसानों ने दोनों विधेयकों को “किसान-विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त” करार देते हुए इन्हें तत्काल वापस लेने की मांग की।

एटा जिले के गगनपुर, डंडा, शीतलपुर और चिल्सानी में सैकड़ों किसान सड़कों पर उतरे। चिल्सानी में उत्तर प्रदेश किसान सभा की बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिला अध्यक्ष योगेश बघेल ने कहा, “ये दोनों बिल किसानों की कमर तोड़ने के लिए लाए जा रहे हैं। बीज विधेयक पास हुआ तो देशी बीज बचाना भी गुनाह हो जाएगा और बिजली बिल पास हुआ तो खेतों में मोटर चलाना सपना बन जाएगा।”डंडा गांव में कामरेड शिवाजी की अध्यक्षता में हुए प्रदर्शन में किसान नेता रामदास, गिरेंद्र सिंह, राम खिलाड़ी, अशोक कुमार, राम बहादुर, सर्वेंद्र यादव, जसवीर, रामनिवास, महेश चंद और चरण सिंह आदि ने हिस्सा लिया। किसानों ने नारे लगाए, “किसान-विरोधी बिल वापस लो! कॉर्पोरेट के हाथों देश नहीं बेचा जाएगा!

”इसी तरह शीतलपुर में किसान सभा के अध्यक्ष अजय वीर सिंह के नेतृत्व में सभा हुई। किसानों ने केंद्र सरकार का पुतला दहन किया और चेतावनी दी कि यदि बिल वापस नहीं लिए गए तो 2020-21 जैसे व्यापक आंदोलन के लिए किसान तैयार हैं।किसान सभा का दावा है कि बीज विधेयक से बहुराष्ट्रीय कंपनियां बीजों पर एकाधिकार कायम कर लेंगी और किसान को हर फसल के लिए बाजार से महंगे बीज खरीदने पड़ेंगे। वहीं बिजली संशोधन विधेयक से निजी कंपनियों को वितरण का अधिकार मिलने से सस्ती कृषि बिजली हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।
प्रदर्शन एटा के अलावा अलीगढ़, मैनपुरी, कासगंज, हाथरस और फिरोजाबाद जिलों में भी हुए। किसान नेताओं ने कहा कि यह विरोध अभी सिर्फ शुरुआत है। यदि सरकार नहीं मानी तो पूरे प्रदेश में रेल रोको और लखनऊ कूच जैसे बड़े कार्यक्रम किए जाएंगे।
फिलहाल दोनों विधेयकों के ड्राफ्ट केंद्र सरकार की वेबसाइट पर जनता की राय के लिए रखे गए हैं, लेकिन किसान संगठनों ने इन्हें संसद में लाने से पहले ही रद्द करने की मांग तेज कर दी है।











