लखनऊः साल के आखिरी दिन दिखाया था चोरी की सरिया, खुला फर्जीवाड़ा

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लखनऊः साल के आखिरी दिन दिखाया था १६ टन चोरी की सरिया बरामद, अब खुला फर्जीवाड़ा

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बंथरा थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर क्राइम सहित ५ पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज

एंटी करप्शन कोर्ट के आदेश पर तीन साल बाद केस, CBI जांच की भी तैयारी

लखनऊ। वर्ष २०२० के आखिरी दिन यूपी पुलिस ने जो कार्रवाई करके पूरे प्रदेश में वाहवाही लूटी थी, वह पूरी तरह फर्जी निकली। ३१ दिसंबर २०२० को बंथरा पुलिस ने दावा किया था कि जनाबगंज में चोरी की सरिया का सौदा पकड़ा है और १६ टन सरिया के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इसी “गुडवर्क” के आधार पर तत्कालीन थाना प्रभारी व उनकी टीम को सम्मानित भी किया गया था।

लेकिन एंटी करप्शन ब्रांच की तीन साल लंबी जांच ने पूरी कहानी पलट दी। शुक्रवार को लखनऊ की एंटी करप्शन कोर्ट के आदेश पर बंथरा थाने में तत्कालीन इंस्पेक्टर क्राइम संदीप सिंह यादव, दरोगा संतोष कुमार समेत पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

क्या था मामला?

३१ दिसंबर २०२० की रात दरोगा संतोष कुमार ने मुखबिर की सूचना के आधार पर दावा किया कि जनाबगंज के एक हाते में चोरी की सरिया का सौदा हो रहा है। मौके पर छापा मारकर पुलिस ने कानपुर के सरिया व्यापारी विकास कुमार गुप्ता और ट्रक चालक दर्शन सिंह को हिरासत में ले लिया। १६ टन सरिया जब्त करने का दावा किया गया और धारा ४११/४१४ भादवि में मुकदमा दर्ज हुआ।

जांच में जो खुला

कोई मुखबिर नहीं था, फर्जी नाम लिखा गया

सरिया पूरी तरह वैध थी, सभी बिल-वाउचर मौजूद थे

पंच भी पुलिस के ही विश्वासपात्र बनाए गए

व्यापारी को छुड़ाने के लिए घूस की मांग की गई थी

सिर्फ सालाना गुडवर्क पूरा करने और पुरस्कार पाने के लिए पूरी कार्रवाई गढ़ी गई

एंटी करप्शन इंस्पेक्टर की रिपोर्ट में साफ लिखा है कि पुलिसकर्मियों ने जानबूझकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए, गलत बयान लिखे और निर्दोष लोगों को फंसाया।

कोर्ट ने दिए ये धाराएं

भादवि की धारा १६७, १६८, २१८, २२०, ४२०, ५०६, ३४ एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराएं लगाई गई हैं।

मुख्य आरोपी अभी भी सेवा में

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस फर्जी गुडवर्क के हीरो रहे तत्कालीन इंस्पेक्टर क्राइम संदीप सिंह यादव आज भी पुलिस विभाग में तैनात हैं और उनका तबादला दूसरे जिले में हो चुका है।

पीड़ित व्यापारी विकास गुप्ता ने बताया, “तीन साल से न्याय के लिए भटक रहा था। आखिरकार सच सामने आया। अब उम्मीद है कि दोषियों को सजा मिलेगी।

”एंटी करप्शन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मामला बेहद गंभीर है। इसे सीबीआई को सौंपने की भी तैयारी चल रही है।

पुलिस महकमे में इस खबर के बाद हड़कंप है। कई अधिकारी इसे “गुडवर्क के चक्कर में होने वाली फर्जी बरामदगी की एक और मिसाल” बता रहे हैं। पिछले कुछ सालों में आजमगढ़, गोरखपुर, प्रयागराज में भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं।

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