
लखनऊ, 4 दिसंबर 2025: उत्तर प्रदेश राज्यकर विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। विभाग के सहायक आयुक्त अनुपम सिंह ने नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके फर्जी फर्म का पंजीकरण कराने के आरोप में महाराष्ट्र के एक कारोबारी के खिलाफ कृष्णानगर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई है। यह मामला राज्य में फर्म रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर रहा है, और पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी व जालसाजी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।
नकली कागजातों से फर्म का पंजीकरण
जानकारी के मुताबिक, आरोपी कारोबारी ने राज्यकर विभाग में फर्जी फर्म का पंजीकरण कराने के लिए नकली दस्तावेज जमा किए थे। इनमें फर्जी पहचान पत्र, पता प्रमाण पत्र और अन्य आवश्यक कागजात शामिल थे। सहायक आयुक्त अनुपम सिंह को जांच के दौरान इन दस्तावेजों में विसंगतियां नजर आईं, जिसके बाद उन्होंने तत्काल कार्रवाई करते हुए कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई। विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह फर्जी पंजीकरण कर राजस्व चोरी या अन्य वित्तीय अनियमितताओं के लिए किया गया था।
पुलिस ने शुरू की जांच
कृष्णानगर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि रिपोर्ट के आधार पर आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी) और 468 (जाली दस्तावेज तैयार करना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपी महाराष्ट्र निवासी है और उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करने पर विचार चल रहा है। पुलिस टीम दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच कर रही है, साथ ही आरोपी के अन्य संभावित संलिप्तताओं की भी तहकीकात की जा रही है। यदि दोष सिद्ध हुआ तो आरोपी को कम से कम 7 साल की सजा हो सकती है।
विभाग ने बढ़ाई सतर्कता
राज्यकर विभाग के अधिकारियों ने इस घटना के बाद सभी फर्म पंजीकरण आवेदनों की दोहरी जांच के निर्देश जारी किए हैं। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “ऑनलाइन पोर्टल के बावजूद कुछ लोग नकली दस्तावेजों से सिस्टम का दुरुपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं। हम अब आधार वेरिफिकेशन और जीएसटी डेटा क्रॉस चेक को अनिवार्य कर रहे हैं।” पिछले एक साल में राज्य में ऐसे 15 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें फर्जी पंजीकरण के जरिए करोड़ों का राजस्व नुकसान हुआ है।
यह घटना व्यवसायी समुदाय में हड़कंप मचा रही है। कई उद्यमी सतर्क हो गए हैं और विभाग से पारदर्शी प्रक्रिया की मांग कर रहे हैं। फिलहाल, आरोपी की गिरफ्तारी तक जांच जारी रहेगी।










