
बाराबंकी। शहर व आस पास के गांवों में आवारा सांडों के आतंक से लोग परेशान हैं, छुट्टा सांडों की दहशत से लोग घर से बाहर निकलते हुए डरते हैं, कोई भी चौराहा हो, सड़क हो या कोई भी गली हो आपको सांड मिल जायेंगे और आप उनके सामने से निकल भर जाएँ वो अपनी सीन्घे आपकी ओर ज़रूर घुमायेंगे और मुंह से आवाज़ निकाल कर आपको डरायेंगे अब आप चुपचाप निकल गए तो ठीक, कहीं आपने आँख उठाकर उन्हें देख लिया तो फिर आपकी शामत तय है वो आपको दौडाकर ही छोड़ेंगे। यही नहीं कुछ सांड तो इतने ढीठ हैं कि बिना कुछ बोले ही अचानक हमला कर देते हैं। यही कुछ लखपेड़ाबाग निवासी जलकल विभाग में तैनात जूनियर इंजीनियर के साथ हुआ है। हाल के दिनों में अयोध्या लखनऊ मार्ग पर स्थित लक्ष्बर बजहा गांव के पास सड़क किनारे खड़े सांड ने अचानक से हमला कर दिया जिससे वो चोटहिल हो गए व सड़क पर दूसरे वाहन की चपेट में आने से बाल-बाल बच पाए। अभी भी उनको दिक्कत बनी हुई है व दहशत में हैं। इसी रास्ते से गुजर रहे रमेश शर्मा ने बताया कि कल इसी सांड ने सड़क से गुजर रहे सिपाही को भी टक्कर मार दी जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो गए हैं व इलाज चल रहा है। लछबर बजहा के आस पास के लोगों ने बताया कि अब तक ये सांड काफी लोगों को चोटहिल कर चुका है व सड़क पर कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। स्थिति तब अधिक भयावह हो जाती है जब ये सांड आपस में लड़ते हैं और ऐसी तरह से लड़ते हैं कि रास्ते में आने वाले किसी भी इंसान को चोटहिल कर सकते है किसी की दुकान हो या कोई सडक पर अपना ठेला लागाये हो सभी इनका शिकार होते रहते हैं चाहे सड़क हो, चौराहा हो, भीड़-भाड़ हो या किसी मोहल्ले की गली हो इनका तांडव हर जगह पर होता ही रहता है जिससे ज़िन्दगी और मौत पर कब बन आए इसकी कोई गारंटी नहीं है। वहीं सांडों के तांडव से वृद्ध लोगों का जीवन हमेशा खतरे में बना रहता है। शिखा सिंह बताती हैं कि कहीं बाहर जाना हो तो कई बार सोचना पड़ता है कि कैसे बाहर जाएँ क्यूंकि हर गली व हर चौराहे पर ये छुट्टा सांड कब किसे अपना निशाना बना दे कुछ कहा नहीं जा सकता। क़ानून गोयान निवासी इमरान अली का कहना है कि ये सांड वृद्ध, महिलाओं व बच्चों के लिए खतरा बने हुए है।
दो दिन पहले शहर के नाका चौराहे पर सांड आपस में लड़ते हुए कई लोगों को अपना शिकार बना डाला। शहर के बेगमगंज निवासी वैस ने बताया कि हाल ही में एक दुकान में सांड लड़ते हुए घुस गए जिससे दुकानदार चोटहिल होते-होते बचे। आज पुनः सांड आपस में लड़ते हुए शहर चौकी से भागते हुए पीरबटावन तक जा पहुंचे जिससे रास्ते में अनेक लोग चोटिल होते होते बचे। भीड़-भाड़ व आबादी वाले इलाके में घूम रहे ये आवारा सांड कभी भी किसी की भी जान लेने पर गुरेज नहीं करते हैं। ऐसे केस अक्सर सरकारी वा निजी अस्पताल में देखने को जाते हैं। धनोखर चौराहा व घंटाघर व उसके आस-पास इन सांडों का आये दिन आतंक देखने को मिल ही जाता है।
शहर के मुख्य चौराहों बस-अड्डा, नाका सतरिख, देवा चौराहा, व पल्हरी चौराहे पर व सड़कों पर सांड खड़े होकर यातायात को प्रभावित करते हैं, जिससे एक्सीडेंट होने की सम्भावना हमेशा बनी रहती है व आम जन को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
प्रशाशन इन सब बातों से अनजान बन इनके संरक्षण व इन्हें पकड़ने के लिए कोई कठोर कदम उठाने को तैयार नहीं दिख रहा है। चूंकि ये मामला काफी गंभीर व लोगों के जीवन से जुड़ा है।
अब देखना है कि इसपर प्रशासन क्या रवय्या अख्तियार करता है?