जिलाधिकारी /खेत में पराली/अपशिष्टों को न जलाये जाने के संबंध में अपील।

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शाहजहांपुर / जिलाधिकारी श्री उमेश प्रताप सिंह ने बताया कि शासन द्वारा फसलों के अवशेष / अपशिष्टों को जलाये जाने से रोकने को लेकर गम्भीरता बरती जा रही है तथा खेतों में पराली / अपशिष्टों के जलाये जाने के कार्यों का सेटेलाइट के माध्यम से सघन निगरानी की जा रही है। उक्त के दृष्टिगत अब तक जनपद की तहसील पुवायाँ क्षेत्र में सर्वाधिक 49 प्रकरण एवं सम्पूर्ण जनपद में 51 प्रकरण, जोकि सम्पूर्ण प्रदेश में सर्वाधिक हैं, संज्ञान में आये हैं। पराली जलाये जाने को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एन०जी०टी०) द्वारा पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया गया है। जनपद में पराली जलाये जाने की घटनाओं को रोकने तथा उन पर पूर्णतः अंकुश लगाये जाने हेतु निम्नवत् कार्यवाही अमल में लायी गयी है –

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1. पराली जलाये जाने हेतु दोषी पाये गये कुल 08 कृषकों / व्यक्तियों के विरुद्ध 107/16 के अन्तर्गत कार्यवाही की गयी है तथा भारी मात्रा में अर्थदण्ड लगाया गया है।

2. तहसील पुवाया क्षेत्र के 250-250 व्यक्तियों को संबंधित थानों में बुलाकर फसल अवशेष न जलाये जाने हेतु लिखित तौर पर हस्ताक्षर युक्त प्रमाण-पत्र लिये गये हैं।

3. जनपद के समस्त प्रभारी निरीक्षकों थानाध्यक्षों, बीट-कॉस्टेबिलों एवं खण्ड विकास अधिकारियों, ग्राम पंचायत एवं ग्राम विकास अधिकारियों को जनलवन-जागरुकता फैलाने एवं फसलों के जलाये जाने से रोकने हेतु निरन्तर भ्रमणशील रहकर पूर्ण सतर्कता एवं सजगता बरते जाने के निर्देश दिये गये हैं।

4. जनपद में 50000 डीकम्पोजर उपलब्ध कराये जाने की मांग पर वर्तमान में 37000 डीकम्पोजर उपलब्ध करा दिये गये हैं। शेष डीकम्पोजर शीघ्र ही उपलब्ध करा दिये जायेंगे।

5. जनपद के प्रत्येक कम्पाइन हार्वेस्टर स्वामी को कड़े निर्देश दिये गये हैं, कि वह बिना एस०एम०एस० मशीन के फसल की कटाई कदापि नहीं करेंगे।

फसलों के अवशेषों / अपशिष्टों को खेत में जलाने से खेत की मिट्टी की उर्वरक क्षमता प्रभावित होती है। साथ ही खेत की मिट्टी में मौजूद मिट्टी की उर्वरकता को बढ़ाने वाले कीट भी मर जाते हैं, जिससे खेत को भारी हानि होती है। उक्त के अतिरिक्त फसलों के जलने से होने वाले धुयें से भारी मात्रा में वायु प्रदूषण होता है, जिससे पर्यावरण को भारी क्षति पंहुचती है। इस धुंये के दुष्प्रभाव से लोगों में फेफड़े / स्वांस संबंधी गम्भीर बीमारियाँ होती हैं, जो कि जानलेवा सिद्ध होती है। 

जिलाधिकारी ने उपरोक्त को दृष्टिगत रखते हुये सभी से अपील की है कि सभी कृषक किसी भी दशा में खेत में पराली/अपशिष्टों को न जलायें तथा फसलों की कटाई एस०एम०एस० युक्त कम्पाइन हार्वोस्टर मशीन के द्वारा ही करायें तथा किसी भी दशा में बिना एस0एम0एस0 मशीन के फसलों की कटाई न करायें। इस प्रकार शासन व प्रशासन का सहयोग करें और फसलों के अपशिष्टों को जलाने से होने वाले पर्यावरणीय क्षति को रोके तथा प्रशासन द्वारा की जाने वाली दण्डात्मक कार्यवाही जैसी अप्रिय स्थिति से बचें।

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