मुख्यमंत्री ने शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान, गोरखपुर में तेंदुए के 02 मादा शावकों का नामकरण किया, सफेद बाघिन का क्रॉल से बाड़ा प्रवेश कराया

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने वन्य प्राणि सप्ताह-2022 के अवसर पर आज शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान, गोरखपुर में तेंदुए के 02 मादा शावकों को दूध पिलाकर उनका नामकरण (भवानी और चण्डी) किया। उन्होंने व्हाइट टाइगर (सफेद बाघिन गीता) को क्रॉल से बाड़ा प्रवेश कराने के उपरान्त चित्र प्रदर्शनी एवं स्टॉलों का निरीक्षण किया। उन्होंने इस अवसर पर गंगा डॉल्फिन सम्बन्धी पोस्टर रिलीज किया तथा उत्तर प्रदेश के जलीय जीवों पर डाक विभाग के स्पेशल कवर का भी अनावरण किया। मुख्यमंत्री जी ने चिड़ियाघर के निदेशक डॉ0 एच0 राजमोहन, पशु चिकित्साधिकारी डॉ0 योगेश सिंह, उपक्षेत्रीय वनाधिकारी श्री रोहित सिंह को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने वन्य प्राणि सप्ताह के अन्तर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किया।
मुख्यमंत्री जी ने लोगों को विजयादशमी एवं वन्य प्राणि सप्ताह की बधाई देते हुये कहा कि विजयादशमी का यह पर्व सभी लोगों के जीवन मे समृद्धि और खुशहाली लाता रहे। उन्होंने कहा कि रामराज की भावना के अनुरूप मानव कल्याण के साथ प्रत्येक प्राणी की रक्षा व संरक्षण में सभी को अपना योगदान देना चाहिए। इसकी प्रेरणा हमें रामायण से भी मिलती है। रामायण की गाथा में अरण्य काण्ड जीव-जन्तुओं के संरक्षण, प्रकृति के प्रति दायित्वों, जीवों के प्रति व्यवहार की सीख देता है। अरण्य काण्ड में एक प्रकार से पूरी भारतीय ज्ञान सम्पदा समाहित है।मुख्यमंत्री जी ने रामचरित मानस की पंक्तियां ‘हित अनहित पसु पच्छिउ जाना, मानुष तनु गुन ग्यान निधाना‘ का उल्लेख करतेे हुए कहा कि कौन हितैषी है और कौन हानि पहुंचाने वाला पशुओं में इसका स्पन्दन होता है। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम वन में माता सीता व अपने अनुज लक्ष्मण के साथ ही गए थे, लेकिन वनवास काल में उनकी मदद वनवासियों, भालू, वानर, गिद्ध यहां तक कि पेड़-पौधों व जंगल के नदी-नालों ने की। उन्होंने कहा कि मनुष्य भी तभी संरक्षित रहेगा, जब वह प्रकृति के प्रति और जीव-जन्तुओं के संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को लेकर सजग रहेगा। उन्होंने वन्यजीवों के संरक्षण हेतु सभी लोगों के योगदान की अपील की।
मुख्यमंत्री जी ने वन्यजीव संरक्षण तथा ईको टूरिज्म को लेकर प्रदेश सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि लखनऊ में प्रदेश की पहली नाइट सफारी शुरू करने की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। इससे ईको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा, वन्यजीवों के प्रति सम्मान की भावना जागृत होगी, मनोरंजन के साथ बच्चों का ज्ञानवर्धन भी होगा। उन्होंने कहा कि चित्रकूट के रानीपुर में टाइगर रिजर्व बनाए जाने की भी घोषणा हो चुकी है। भगवान श्रीराम ने अपने वनवास काल का सर्वाधिक समय चित्रकूट में ही व्यतीत किया था। प्रदेश सरकार बिजनौर के समीप अमानगढ़ को बहुत शीघ्र ईको टूरिज्म के केन्द्र के रूप में विकसित करने जा रही है। राज्य सरकार वन्यजीवों के लिए महराजगंज, मेरठ, चित्रकूट, पीलीभीत में रेस्क्यू सेण्टर बना रही है। महराजगंज के सोहगीबरवा क्षेत्र में गिद्ध संरक्षण केन्द्र बनाया जा रहा है। वन्यजीवों से होने वाली हानि को सरकार ने आपदा की श्रेणी में रखा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सरकार जलीय जीवों के संरक्षण को लेकर भी संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे परियोजना से इसमें काफी मदद मिल रही है। कानपुर में पहले गंगा नदी में प्रतिदिन 14 करोड़ लीटर सीवर गिरता था, नमामि गंगे परियोजना के कार्यों से अब एक बूंद भी नहीं गिरता। अब सीवर गिरने वाला स्थान सेल्फी प्वाइण्ट बन चुका है। इसी तरह जाजमऊ में चमड़ा उद्योग का कचरा गिरने से जलीय जीव समाप्त प्रायः हो गए थे। वहां अब जलीय जीवों को पुनर्जीवन मिला है और बड़ी संख्या में जलीय जीव नदी में दिखने लगे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार डॉल्फिन संरक्षण के लिए हर सम्भव कदम उठाएगी।
मुख्यमंत्री जी ने वन विभाग के अधिकरियोें को वन्यजीवों के उपचार व संरक्षण के लिए पशु चिकित्सा अधिकारियों का अलग कैडर निर्धारित करने का निर्देश देते हुए कहा कि वन्यजीवों के इलाज के लिए अभी चिकित्सक पशुपालन विभाग से आते हैं। अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद इन्हें वापस जाना होता है, जिससे वन्य प्राणियों के उपचार व संरक्षण के इनके अनुभव का लाभ नहीं मिल पाता। अब वन्यजीवों के रेस्क्यू व उनके उपचार हेतु पशु चिकित्सा अधिकारियों का अलग कैडर तैयार करना होगा, जिससे वन्यजीवों के संरक्षण व उपचार के उनके अनुभव का लाभ प्राप्त हो सके।
मुख्यमंत्री जी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिकाधिक वृक्षारोपण की अपील करते हुए कहा कि एक-एक पेड़ की कीमत को समझते हुए उनका संरक्षण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विगत 05 वर्ष में उत्तर प्रदेश में 100 करोड़ पेड़ लगाए गए। यह दुनिया में सर्वाधिक है। इस वर्ष 35 करोड़ वृक्ष लगाए गए हैं, इसे और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। पर्यावरण अनुकूल होगा, तो स्वास्थ्य की रक्षा के साथ ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या से भी बचा जा सकेगा।
इस अवसर पर वन एवं पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि महराजगंज के सोहगीबरवा में सरकार जल्द ही जंगल सफारी की सुविधा शुरू करेगी। जंगल सफारी से ईको टूरिज्म बढ़ेगा, लोगों को रोजगार मिलेगा। दूसरे प्रदेशों के लोग पर्यटन के साथ ही अब उत्तर प्रदेश में रोजगार के लिए भी आएंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री जी के पर्यावरण प्रेम व वन्यजीवों से लगाव का उल्लेख करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी ने अपने जन्मदिन पर सबसे पहला कार्य पौधरोपण का किया था। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों से अपील की कि वे अपने जन्मदिन पर पौधरोपण अवश्य करें।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जैव विविधिता के सलाहकार डॉ0 संदीप बेहरा ने आधारभूत व्याख्यान देते हुए डॉल्फिन संरक्षण में सबकी सहभागिता की अपील की। अपर मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण श्री मनोज सिंह ने वन्य प्राणि सप्ताह के कार्यक्रमों के साथ प्रदेश सरकार द्वारा ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। आभार ज्ञापन प्रधान वन संरक्षक वन्यजीव श्री के0पी0 दुबे ने किया।
इस अवसर पर वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री श्री के0पी0 मलिक, सांसद श्री रवि किशन, महापौर श्री सीताराम जायसवाल, एम0एल0सी0 डॉ0 धर्मेन्द्र सिंह, विधायक श्री विपिन सिंह, श्री प्रदीप शुक्ल, श्री महेन्द्रपाल सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष श्रीमती ममता संजीव दुबे, गोरखपुर क्षेत्र के मुख्य वन संरक्षक श्री भीमसेन, प्रभागीय वनाधिकारी श्री विकास यादव, प्राणी उद्यान के निदेशक डॉ0 एच0 राजा मोहन, पशु चिकित्साधिकारी डॉ0 योगेश सिंह आदि मौजूद रहे।

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